Wednesday 29 February 2012

::कुछ सीख लों::

कृति : मोहित पाण्डेय"ओम"


तुम मुस्कुराना सीख लो,
उन अपाहिजो को देखकर|
दोष किस्मत को देना छोड़ दो,
कटे पंख से उड़ते परिंदों को देखकर|

बाजुओ में जोर भरना सीख लो,
जाबांजो को सीमा में लड़ते देखकर|
तुम मुस्कुराना सीख लो,
उन अकिंचनो को देखकर|

समय की पहिचान करना सीख लो,
कोयले से हीर बनता देखकर |
उन्नति पथ पर चलना सीख लो,
अविरत प्रवाह सरिता कि देखकर |
अमर प्रेम करना सीख लो,
जल कर मरे परवाने को देखकर |
अपने प्रण पर रहना सीख लो,
अविचल खड़े हिमालय को देखकर |

खुद जलकर प्रकाश करना सीख लो,
जलते दीपक को देखकर |
दुनिया को रौशन करना सीख लो,
आसमां में तपते सूरज को देखकर |
मानवता कि खातिर खुद की कुर्बानी देना सीख लो,
महर्षि दधिची के अस्थि-बलिदान को देखकर |

माँ भारती के पूत अब, गर्व से सर उठाना सीख लो |
दुश्मन की च|ल को अब, बेनकाब करना सीख लो|
मुट्ठियों के जोर से अब, भूचाल लाना सीख लो |
देश-प्रेम की खातिर, मौत से भी दिल लगाना सीख लो |

1 comment:

  1. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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